हिंदी में कविता है इसलिए कमेंट भी हिंदी में...मुझे नहीं पता था कि तुम इतना अच्छा लिखती हो। लिखना अच्छी आदत है और वो लिखना जिसे तुम महसूस करते हो, उससे भी अच्छी आदत है। इस आदत को बनाए रखना। मेरठ में मेरा घर जिस गली में है उसके नुक्कड़ पर ऐसी ही एक दुकान है, जहां हम कई दोस्त अक्सर शाम को बैठ जाया करते, वहां ऐसा ही नज़रा रहता था जैसा तुम्हारी इस कविता में ज़िक्र है। आज भी शाम को वहां मोहल्ले के कई बुज़ुर्ग और लड़के वहां बैठे दिखते हैं, शायद वो लोग भी ऐसा ही सोचते होंगे। इस पेज पर लिखी गईं कई और कविताएँ भी मैनें पढ़ीं, जो वाकई काबिल-ए-तारीफ़ हैं। आगे भी ऐसा ही लिखते रहिए। शुभकामनाएं!!
हिंदी में कविता है इसलिए कमेंट भी हिंदी में...मुझे नहीं पता था कि तुम इतना अच्छा लिखती हो। लिखना अच्छी आदत है और वो लिखना जिसे तुम महसूस करते हो, उससे भी अच्छी आदत है। इस आदत को बनाए रखना। मेरठ में मेरा घर जिस गली में है उसके नुक्कड़ पर ऐसी ही एक दुकान है, जहां हम कई दोस्त अक्सर शाम को बैठ जाया करते, वहां ऐसा ही नज़रा रहता था जैसा तुम्हारी इस कविता में ज़िक्र है। आज भी शाम को वहां मोहल्ले के कई बुज़ुर्ग और लड़के वहां बैठे दिखते हैं, शायद वो लोग भी ऐसा ही सोचते होंगे। इस पेज पर लिखी गईं कई और कविताएँ भी मैनें पढ़ीं, जो वाकई काबिल-ए-तारीफ़ हैं। आगे भी ऐसा ही लिखते रहिए। शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteThis is just can't expressed in words.. Too good
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