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Thursday, April 26, 2012
भ्रष्टाचार का विचार…
भ्रष्टाचार का विचार,
क्यूँ आए मन में बार-बार,
क्या काफी नहीं है यह छोटा सा संसार ?
सोचो कैसा होगा सदाचार,
वो कहते हैं “ डूबेगी हर सरकार
अगर कर लिया इससे सरोकार
न गाड़ी, न बंगला,
न घर में सोने का अचार,
हाए ! होगी यह ज़िन्दगी बेकार !”
और उसका क्या जिसका तुमने खाया ?
भूल गए भाई का प्यार ?
वादे किये बड़े प्यारे-प्यारे,
लगे जो उनको सबसे न्यारे !
कभी बिजली, कभी पानी,
तो कभी सरकार की दुलार,
भूले यह सारे !
नेता के प्यारे !
उस मिट्टी के घर में,
जो नाले पर बस्ता है
तेरा भाई सुख-चैन से कहाँ रहता है !
मच्छर के काट से उसका बच्चा बीमार,
और पैसे की तंगी ने हमेशा किया बुरा हाल,
रोते और कहते हैं, “मारडाला !
पैसे की भूख ने क्या न कर डाला !
बच्चे तेरे दो तो उसके चार,
पर करता तू सिर्फ उनका व्यापर !
जाना सब को है एक बार,
जहाँ फैसला होगा इस-पार या उस-पार
सोचना ज़रूर एक बार,
क्यूँ नहीं दिया भाई को अधिकार !
गद्दी की भूख ने कर दिया तुझको अन्धा
बना दिया तुने Corruption को धंधा !”
1 comment:
Utkarsh
December 21, 2016 at 9:20 PM
Too good👏
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